Wednesday 30 December 2015

2015 कुछ ऐसे जीया

हम 2015 के अंतिम सप्ताह में देखते ही देखते पहुँच गए हैं. आगे नव वर्ष के आगमन की तैयारी जोरों-शोरों पर है. आप ये मत समझ लेना कि पार्टी, सजाने-उजाने की तैयारी की मैं बात कर रहा हूं. मैं बात कर रहा हूं आगामी वर्ष को अपने मनमुताबिक बिताने की तैयारी के बारे में, कुछ आवश्यक परिवर्तन लाने के बारे में, कुछ आत्म विकास के बारे में और अंततः आपलोगों को कुछ नई-नई बातें बताने के बारे में.
आगामी वर्ष की बातें आगे होगी, फिलहाल हम बातें करेंगे लगभग अंतिम पड़ाव में पहुंच चुके वर्ष 2015 की उपलब्धियों और विशेष गतिविधियों के बारे में. तो आइए जानें वर्ष 2015 मेरे लिए क्या-क्या लेकर आया.
1.       वैवाहिक बंधन में बंधना – 26 फरवरी से मेरे जीवन की एक नई शुरुआत आरम्भ हुई. इस दिन से मेरी जिन्दगी का सफर एक बहुत ही खूबसूरत और समझदार जीवनसंगिनी अंजु के साथ आरम्भ हो गई. शादी के बाद कई ऐसे परिवर्तन मैंने अपने व्यक्तित्व एवं जीवन में अनुभव किया जिन्हें इससे पूर्व अनदेखा कर दिया करता था. सचमुच मैं पहले की तुलना में कहीं ज्यादा संजिदा हो गया हूं.
2.       लेखन की ओर झुकाव – बचपन से ही लिखने का शौक रहा था किंतु, बचपन में परिस्थितियां अनुकूल नहीं रहने की वजह से अपने इस शौक को हकीकत में नहीं बदल पाया था, पर जब परिस्थितियां अनुकूल हुई तो शौक मुर्झाने लगा था. और इस वर्ष के मध्य अचानक कुछ ऐसा हुआ कि मेरे अंदर का शौक एक बार फिर जीवंत हो उठा और मैं लिखने की ओर एक बार फिर जोर शोर से मुड़ गया. वर्ष के अंत तक कई कहानियां लिख डाली और इसका एक संग्रह ‘अलबेलिया’ नाम से प्रकाशनाधीन है. आप इसे खरीदें और मेरे मनोबल को बढ़ाएं.
3.       ब्लॉग लेखन – मई माह से मैंने ‘मेरी कलम से’ नाम से ब्लॉग लेखन का कार्य आरम्भ किया. ब्लॉग लेखन के आरम्भिक दौर में हूं इसीलिए कई बातें और नई नई चीजें मुझे अभी सिखने की जरूरत है. आप इस संदर्भ में कोई अच्छा सुझाव देकर मेरा मार्गदर्शन करना चाहें तो आपका स्वागत है. आगामी वर्ष 2016 से मैं अपना एक नया ब्लॉग ‘Learn And Grow Programme’ के साथ सक्रीय हो जऊंगा. आप इसे फोलो करें, नई – नई जानकारियों से मैं आप सभी को अवगत कराता रहूंगा.
4.       अंग्रेजी सिखना – अपने ज्ञान के दायरे को बढ़ाने के विचार से मैंने हिन्दी के साथ-साथ अंग्रेजी को भी आत्मसात करने का निर्णय लिया है. हालांकि यह निर्णय मैंने वर्ष के अंतिम महीनों में लिया है और मैं अनुभव कर रहा हूं कि इस निर्णय को लेने में मैंने थोड़ी देरे कर दी है. कोई नहीं जब जागा तभी सवेरा. इस दिशा में काफी कार्य किया है और अभी बहुत करना शेष है. समय-समय पर अपनी प्रगति से मैं आप सभी को अवगत कराता रहूंगा.
5.       घुमने फिरने का दौर – जीवन को रोचक बनाने के लिए मैंने इस वर्ष घुमने-फिरने के लिए भी पर्याप्त समय निकाला. इसमें मेरा काफी अच्छा अनुभव रहा. आप सभी को भी मैं इसके लिए सिफारिश करता हूं. ये महत्वपूर्ण नहीं है कि इसके लिए आप विदेश जाएं, या फिर किसी ऐसे स्थानों पर जाएं जो आपके बजट के बाहर हो. अपने आप-पास या नजदिकी क्षेत्रों में भी अपने दोस्तों या फिर परिवार जनों को लेकर घुमने जा सकते है और वहां कम लागत में भी घुमने का भरपूर आनन्द उठा सकते हैं. मैं भी मार्च में अंजु के साथ शिमला (हिमाचल प्रदेश) गया, वहां की बर्फ़बारी और कड़ाके की ठंड का भरपूर मज़ा उठाया. इस ट्रीप में एक और बात यह हुई कि अंजु के लिए हवाई सफ़र का यह पहला अनुभव रहा. इसके बाद हमने कई और जगहों का कार्यक्रम बनाया और इसी दौर में देवघर (झारखण्ड) जाकर बाबा विश्वनाथ के दर्शन किये, मंगलोर (कर्नाटक) के पनम्बूर तट (beach) में खूब अठखेलियां की. चिकमंगलूर (कर्नाटक) में पर्वत घाटी का आनन्द उठाया, मैरिना बीच, चेन्नई (तमिलनाडु) देखा, पांडीचेरी में रॉक बीच, अरविन्दो आश्रम, पैराडाइज बीच का लुत्फ उठाया. वहां मेरे और अंजु के लिए समुद्र में बोटिंग करने का जीवन में पहला अनुभव रहा. वर्ष के अंतिम पड़ाव तक पहुंचते-पहुंचते मडिकेरी (कुर्ग) जाकर कॉफी बगान और कालीमिर्च की खेती देखी और एबी फॉल, राजा सीट, मडिकेरी फोर्ट देखा. मैसूर जाकर मैसूर पैलेस की खूबसूरती और भव्यता देखी और बृन्दावन गार्डेन में खूब मजा किया. अंत में नन्दी हील का भी बड़ा सुखद अनुभव रहा. बेंगलोर के अंतर्गत लालबाग, कबन पार्क, जे.पी. पार्क ईशकॉन टेंपल और बन्नेरघट्टा नैशनल पार्क का भी बहुत ही अच्छा अनुभव रहा. कुल मिलाकर वर्ष भर के घुमने-फिरने का अनुभव बहुत ही खास रहा.
इसके साथ और कई ऐसी बातें हुई जिसे मैं सदैव मधुर स्मृति के रूप में संजोकर रखना चाहूंगा. इस दौरान कई ऐसी बातें भी हुई जिसे मैं कभी स्मरण भी करना नहीं चाहूंगा. छोटी-बड़ी कई सफलताएं मिली और कई असफलताएं भी हाथ लगी. कई नए दोस्त बने और नए अनुभव मिले.

इस तरह मिली-जुली परिणामों के साथ वर्ष 2015 बीत गया. नव वर्ष द्वार तक आ पहुंचा है. नववर्ष के स्वागत के लिए मैं भी मानसिक रूप से तैयार हूं. कुछ नई बातें सिखने और सिखाने का दौर Learn And Grow Programme के साथ आरम्भ करने जा रहा हूं. आप सभी मुझसे जुड़े रहें और मेरे साथ नए सफ़र का अनुभव साझा करते रहें. 

आगामी post Learn And Grow Programme के साथ 










Sunday 20 December 2015

एक बदलाव करें.

कई दिनों से मैं जीवन में जरा उबाऊ-सा महसूस कर रहा था. लाइफ नीरस लग रही थी. मन में कई विचार उमड़-घुमड़ रहे थे. कुछ करना है. कुछ करना है. बस सोच का ही घोड़ा दौड़ रहा था. इस दौरान कई ऐसे कार्यक्रम दिमाग में आए जिसे कार्यांवित करने के लिए मैं उद्विग्न हो रहा था. कुछ दिन गुजरते ही सारे उत्साह शिथिल पड़ जाते. मन के उत्साह, जोश फिर वहीं आकर अटक जाते जहां से शुरुआत हुई थी. कई कार्यक्रम तय किया किंतु, उन्हें धरातल पर उतार नहीं पाया. कार्यों को अंजाम तक नहीं पहुंचा पाने के कारण मन खिन्नता से भर जाता है और खुद को हतोत्साहित महसूस करता हूं.

किंतु, आज मैंने परिवर्तन की शुरुआत करने का ठान लिया है. आज की शुरुआत मैंने कार्यालय आधे घंटे पहले आकर किया है. अक्सर मैं एक्जेक्ट समय पर कार्यालय पहुंचने के लिए निकलता था. बेतहाशा दौड़ पड़ता था. ट्रेफिक के सिग्नल को मौका मिलते ही अक्सर तोड़ कर आगे निकलने के फिराक में रहता था. इसी वजह से कई बार दुर्घटना होते-होते बची. एक बार बचते – बचते एक दुर्घटना हो गई और मेरी नई गाड़ी के कई पार्ट्स टुट गए. उन्हें रिप्लेस कराना पड़ा. और मन में डर भी घर कर गया.

आज की इस नई शुरुआत से मुझे अहसास हुआ कि पहले मैं कितना गलत था. आज मैं बड़ी आसानी से आधे घंटे पहले कार्यालय पहुंच गया. ना मुझे किसी भागमभाग का हिस्सा बनना पड़ा और ना ही किसी तरह की कोई हड़बड़ी मन में थी. इस दौरान ट्रेफिक भी कम मिला. समय की भी बचत हुई और पेट्रोल भी कम जले. राइडिंग का पूरा मजा लेते हुए कार्यालय पहुंच गया और दिनभर का कार्यक्रम भी ऑफिस का कार्य आरम्भ करने से पहले ही पूरा कर लिया. मन को एक तरह की तसल्ली भी मिली.

इस पहल को मैं अपने जीवन का एक अंग बनाने का प्रयास करूंगा. आप भी, इस तरह की शुरुआत कर सकते हैं और भारी ट्रेफिक की मुसीबत से बच सकते हैं. बेतहाशा दौड़ती हुई जीवन की गाड़ी पर अपना नियंत्रण स्थापित कर सकते हैं. गाड़ी के फ्यूल बचा सकते हैं और कुछ हो ना हो किंतु रास्ते में आप बेफिक्र होकर गाड़ी चला सकते हैं और इसका भरपूर आनन्द उठा सकते हैं.

फिलहाल मैं इतना ही कहूंगा कि आप भी आज कोई नई शुरुआत करें जो आपके जीवन के लिए अथवा दिनचर्या के लिए फायदेमंद हो. उसे कायम रखें और ऐसी आदत को जीवन का एक अंग बना लें. आपको लाभ मिलेगा.

आगे मैं आपको बताऊंगा कि इस शुरुआत से मुझे क्या लाभ मिला और आपको भी ऐसे छोटे-छोटे बदलाव से क्या लाभ मिलनेवाला है.

बहरहाल, आप मुझसे जुड़े रहें और Learn And Grow Programe  का सक्रीय हिस्सा बनें.  


Learn And Grow Programe  के बारे मैं आपसे विस्तृत चर्चा मैं शीघ्र ही करूंगा. Plz be in touch. 


+Zen Habits Read Aloud




Wednesday 16 December 2015

क्या पढ़े, क्यों पढ़े

कई दिनों से मैं एक गहन आत्ममंथन के दौर से चल रहा था. तय नहीं कर पा रहा था कि आखिर मैं क्या कर रहा हूं और वास्तव मैं क्या करना चाहता हूं. यही प्रश्न बार-बार मेरे दृष्टिपटल पर उभरता रहा मिटता रहा. कुछ पढ़ता रहा, कुछ सोचता रहा. इसी दौरान पढ़ते-पढ़ते मैं गलती से ही मगर Leo Babauta  के ब्लॉग Zen habits में जा घुसा. उसे पढ़ता रहा, समझता रहा और अपने व्यावहारिक जीवन में उतारने का प्रयास करता रहा. इसमें कहां तक मैं सफल हुआ यह आपको मैं बाद मैं बताऊंगा, और साथा ही यह भी बताऊंगा कि उनसे प्रेरित होकर मैं क्या करने जा रहा हूं.
बहरहाल, अगर आपके पास भी थोड़ा समय अतिरिक्त है तो इस मेरे साथ जुड़ें और आपको भी भी मैं कई नई-नई बातों से अवगत कराऊंगा और आपके जीवन में भी सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगा.
 http://zenhabits.net