चिड़िया
चिड़िया रानी
चिड़िया रानी
मुझे तू लगती बड़ी
सुहानी
पेड़ों पर खूब मजे से
रहती है
सुन्दर सुन्दर घोंसला बनाती
है
गगन में पंख
फैलाकर उड़ती है
थककर पेड़ों पर आ
बैठती है
नानी सुनाती तेरी
सुन्दर कहानी
चिड़िया रानी
चिड़िया रानी
मुझे तू लगती बड़ी
सुहानी
दिनभर
दाना चुन चुन लाती है
नन्हें
नन्हें बच्चों को खिलाती है
जाड़े
हो या गर्मी खुले बदन सहती है
बरसात
से भी नहीं कभी घबराती है
दुनिया
में चलती खूब तेरी मनमानी
चिड़िया रानी
चिड़िया रानी
मुझे तू लगती बड़ी
सुहानी
1 comment:
गोविन्द जी बेहद सुन्दर व मधुरिम रचना......आपको बधाई...आपने चिड़िया की चहचाहट से लेकर उसके दैनिक दिनचर्या तक का वर्णन किया है.....यह भी बताया कि वह कितनी कर्तव्यशील होती है कि हर मौसम में अपने कार्य करने से नही डरती है.....ऐसी रचनाएँ वाकई माधुर्य से परिपूर्ण होती है....ऐसे लेखों को आप शब्दनगरी के माध्यम से भी प्रकाशित कर सकतें है
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